Sunday 9 October 2016

Ant Philosophy – चार बातें जो हम चींटियों से सीख सकते हैं!


What we can learn from ants in Hindi
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अमेरिका के top most motivational speakers में गिने जाने वाले जिम रौन एक बड़ी ही simple philosophy में यकीन रखते थे। वे इसे “Ant Philosophy” कहते थे। आज मैं आपके साथ उन्ही की बताई Ant Philosophy का Hindi version share कर रहा हूँ।






कितना कुछ सिखाती हैं ये चींटियाँ…
“कई सालों से मैं बच्चों को एक simple लेकिन बहुत ही powerful concept के बारे में बताता आ रहा हूँ- इसे Ant Philosophy (ऐन्ट फिलोसोफी) कहते हैं। मेरे सोचना है कि सभी को चींटियों को पढ़ना चाहिए।
उनकी बड़ी गजब की four part philosophy है, और पहला पार्ट ये है :
Ants never quit / चींटियाँ कभी हार नहीं मानतीं:
ये एक अच्छी फिलोसोफी है। अगर वो कहीं जा रही हैं और आप उनको रोकने की कोशिश करें तो वे दूसरा रास्ता खोजने लगती हैं।
वे ऊपर से चढाई करेंगी, वे नीचे से चली जायेंगी, और वे घूम कर चली जायेंगी. वे कोई न कोई रास्ता खोजती रहेंगी। कितनी neat philosophy है, कभी हार नहीं मानना…जहाँ जाना है वहां जाने के लिए रास्ता खोजते रहना।
दूसरा पार्ट:
Ants think winter all summer / चींटियाँ पूरी गर्मी जाड़े के बारे में सोचती रहती हैं:
ये एक ज़रूरी दृष्टिकोण है। आप इतने भोले नहीं हो सकते कि ऐसा सोचें कि गमियां कभी ख़तम ही नहीं होंगी। इसलिए चींटियाँ गर्मी के समय जाड़े का खाना जुटाती रहती हैं।
एक पुरानी कहानी कहती है-
गर्मी में अपना घर रेत पर ना बनाएं।
हमें इस सलाह की ज़रूरत क्यों है? क्योंकि realistic होना ज़रूरी है। गर्मी में आपको तूफानों के बारे में सोचना होता है। जब आप रेत और सूरज का आनंद ले रहे हों तब आपको पत्थरों के बारे में सोचना होता है। आगे की सोचिये।
ऐन्ट फिलोसोफी का तीसरा पार्ट है:
Ants think summer all winter / पूरी सर्दी चींटियाँ गर्मी के बारे में सोचती रहती हैं:ये कितना ज़रूरी है! सर्दियों में चींटियाँ खुद को याद दिलाती हैं, ” ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा, हम जल्द ही यहाँ से बाहर होंगे।” और पहले गरम दिन चींटियाँ बाहर निकल आती हैं। अगर फिर से ठण्ड बढ़ जाती है तो वे वापस चली जाती हैं, लेकिन फिर जैसे ही दिन गरम होता ही वे वापस निकल आती हैं। वे बाहर निकलने के लिए इंतज़ार नहीं कर सकतीं।
और अब Ant Philosophy का आखिरी भाग:
How much will an ant gather during the summer to prepare for the winter? / एक चींटी गर्मियों में सर्दियों के लिए कितना खाना जुटाएगी?
जितना वो जुटा सकती है। कितनी incredible philosophy है – the “all-you-possibly-can” philosophy.
कभी हार न मानो, आगे देखो, positive रहो, और जितना कर सकते हो उतना करो।
सचमुच Jim Rohn ने बड़े ही सिंपल वर्ड्स में कितनी inspirational philosophy शेयर की है। चींटियाँ हम इंसानों को कितना कुछ सिखाती हैं; तो चलिए हम भी इन चींटियों से life के lessons सीखते हैं और success की दिशा में अपने कदम बढाते हैं।

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